अगर आपकी मां भी आपकी अच्छी सेहत के लिए सुबह से लेकर रात तक के खाने में एक-एक चम्मच घी या मक्खन डालती हो, तो ये खबर आपके लिए है। एक शोध के मुताबिक सैचुरेटेड फैट, एसिड फैट्स और ट्रांस फैट से भरपूर केवल 12 ग्राम मक्खन खाने से भी टाइप 2 डाइबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
शोधकर्ता मार्टा गॉश फेर समेत अमेरिका के हावर्ड टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने टोटल और सबटाइप्स के फैट के सेवन और टाइप 2 डाइबिटीज के बीच के संबंधों का परीक्षण किया है। उन्होंने संतृप्त फैटी एसिड से भरपूर खाद्य स्रोत और टाइप 2 मधुमेह के बीच के संबंधों के बारे में भी जांच किया।
शोध में पाया गया कि जिन लोगों ने सैचुरेटेड फैटी एसिड और एनिमल फैट का ज्यादा मात्रा में सेवन किया है उनमें टाइप 2 डाइबिटीज होने की आंशका ज्यादा रहती है। प्रतिदिन 12 ग्राम मक्खन का सेवन 4.5 साल बाद डाइबिटीज के खतरे को दोगुना बढ़ाता है। जबकि संपूर्ण वसा दही के सेवन से ये खतरा कम रहता है।
इस शोध में 3.349 लोग शामिल थें। इन लोगों में डाइबिटीज की शिकायत नहीं थी पर हाई कार्डियोवास्कुलर की शिकायत थी। 4.5 साल की शोध के बाद 266 लोगों में डाइबिटीज का खतरा पाया गया।
इस शोध के अनुसार पुराने से पुराने रोग और खासतौर से टाइप 2 डाइबिटीज को रोकने के लिए मेडीटेरियन डाइट का सेवन फायदेमंद रहता है। शोध में सैचुरेडेट और एनिमल फैट की जगह सब्जियों जैसे जैतून का तेल और नट्स आदि में मौजूद वसा पर भी ध्यान दिया गया है।