500 किलो की ईमान अहमद अब्दुलाती अपनी सर्जरी कराने के लिए कुछ ही दिनों पहले मुंबई पहुंची हैं. लेकिन इसके अलावा, उनकी एक और ख्वाहिश है.
ईमान बॉलीवुड के दबंग सलमान खान से मिलना चाहती हैं सलमान जल्द ही उनकी ये ख्वाहिश पूरी कर सकते हैं.
सलमान के पिता सलीम खान ने कहा है, 'उन्हें जैसे ही सैफी अस्पताल से ऑफिशियल रिक्वेस्ट आएगी, सलमान उनसे जरूर मिलने जाएंगे.'
बेरियाट्रिक सर्जरी के लिए आई हैं भारत
ईमान विश्व की शायद सबसे भारी महिला है. ईमान इज्पिट की रहने वाली हैं और हाल ही में उन्हें बेरिएट्रिक सर्जरी के लिए भारत लाया गया है. बेरिएट्रिक सर्जरी वजन घटाने के लिए की जाती है हालांकि इससे पहले लंबे समय के लिए मरीज पर निगरानी रखीं जाती है, साथ ही कुछ और टेस्ट भी किए जाते है.
ईमान का इलाज मुंबई के सैफी अस्पताल में चल रहा है. ये 25 साल में पहली बार है, जब ईमान अपने घर से बाहर निकली है क्योंकि ईमान अभी हिल भी नहीं सकती, ऐसे में डॉक्टरों का पहला लक्ष्य ईमान को बैठाने और बिना मदद वॉशरूम जाने योग्य बनाना है.
ईमान जब पैदा हुई थीं, तब ही पांच किलो की थी और 11 साल की उम्र से ही उनका वजन लगातार बढता जा रहा है. पांच साल की उम्र में उन्हें थायराइड के कारण स्कूल छोडना पढा था. लगातार बढते वजन के कारण ईमान अपने पैरों का इस्तेमाल नहीं कर पाती थीं और ऐसे मे उन्हें अपने घुटनों के सहारे खुद को घसीटना पढता था.
लेकिन साल 2014 में कोलेस्ट्रॉल का स्तर काफी बढ़ने के कारण ईमान को दौरा पढा था, जिसके बाद से ईमान न बोल पाती हैं और न ही हिल पाती हैं. उस समय वह 300 किलो की थी.
इजिप्ट और ग्रीस से नहीं मिली थी मदद
इज्पिट और ग्रीस में काफी कोशिश करने के बाद भी जब उन्हें मेडिकल मदद नहीं मिलीं तब उनकी बहन ने एक आॅनलाइन कैंपेन शुरू किया, जिसने जाने-माने लेप्रोस्कोपी सर्जन मुफ़ाज़ल लकड़ावाला का ध्यान खींचा.
हमेशा से मदद का हाथ बढ़ाने के लिए जानी जाने वाली विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इज्पिट स्थित इंडियन ऐंबेसी में बात की, जहां ईमान की भारत आने के वीजा आवेदन को खारिज कर दिया गया था.
ईमान को भारत लाने के लिए इज्पिटन कारीगरों ने एक खास बेड डिजाइन किया जिसपर उन्हें मालवाही एयरबस के जरिए मुंबई लाया गया. ईमान को सिर्फ लाने का खर्चा ही 83 लाख रूपए था जिसे सैफी अस्पताल ट्रस्ट ने चुकाया.
अस्पताल में ईमान को रखने के लिए पहले फ्लोर पर 1000 वर्गफुट का कमरा तैयार गया है. हालांकि, इससे पहले सैफी अस्पताल ने ग्राउंड फ्लोर पर ईमान के लिए कमरा बनाया था जिसे बृहन्मुम्बई नगर निगम ने गिरा दिया था, दरअसल सैफी अस्पताल के पास इसकी अनुमति नहीं थीं.
डॉक्टर ईमान की परिस्थिति के जरिए जीन अध्य्यन भी करेंगे, जिसके तहत वो मोटापे से संबंधित 91 अलग प्रकार के बायोमार्कर को पढने की कोशिश करेंगे.
डॉक्टरों का अंतिम लक्ष्य ईमान का वजन 100 किलो के अंदर लाना है, जिसके बाद ही वह एक स्वस्थ जीवन जीने योग्य होंगी. हालांकि, ऐसा मानना है कि इस लक्ष्य तक पहुंचना आसान नहीं होगा और इसमे 2 से 3 साल का वक्त लग सकता है.