
ग्वालियर: हाई स्पीड ट्रेनों शताब्दी, राजधानी और गतिमान के बाद अब वंदे भारत एक्सप्रेस की स्प्रिंग भी सिथौली स्थित रेल स्प्रिंग फैक्ट्री में बनेगी। इसके लिए इलाहाबाद मुख्यालय से मंजूरी मिलने के बाद रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भेज दिया गया है। उम्मीद है कि इस साल वंदे भारत ट्रेन के कोच भी ग्वालियर में बने स्प्रिंग की मदद से पटरियों पर दौड़ने लगेंगे। देशभर में चलने वाली ट्रेनों के लिए स्प्रिंग बनाने वाली सिर्फ दो फैक्ट्रियां हैं, इनमें से एक ग्वालियर के सिथौली में और दूसरी चेन्नई स्थित आईसीएफ है। सिथौली स्थित रेल स्प्रिंग फैक्ट्री में सालों से आईसीएफ (इंटीग्रल) और एलएचबी (लिंक-हॉफमैन ब्रश) कोच की स्प्रिंग बनती आ रही है। भारतीय रेलवे लगातार स्प्रिंग की मांग बढ़ा रहा है, जिसके चलते इस साल फैक्ट्री का लक्ष्य भी पहली बार एक लाख स्प्रिंग से ऊपर चला गया है। हर साल बढ़ रही है स्प्रिंग की मांग
रेल स्प्रिंग कारखाना, सिथौली की शुरुआत 1989 में हुई थी। इसके बाद 1990 में स्प्रिंग बनने लगे। यहां मांग के हिसाब से स्प्रिंग बनते हैं और हर साल इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। इस साल पहली बार लक्ष्य एक लाख को पार कर गया है। कारखाने में ज्यादातर स्प्रिंग एलएचबी कोच के लिए बनते हैं।